Parents love is never less.




 ये कहानी एक गरीब माता - पिता है । जिनके जीने का सहारा मात्र एक उनका बेटा है । उस बेटे के जन्म के बाद सब कुछ अपने बेटे को ही मान लिए थे । उस बेटा का नाम "मंडला" रखा गया । उन्होंने अपने बेटे को पांचवाँ साल(five year's) से ही, पढ़ाना शुरू कर दिये । 
      
   जैसे - जैसे उसका आयु बीतता गया वसै - वसै अपना वर्ग ऊपर चलता गया । जब ओ द्सम वर्ग पास किया को आगे पड़ने के लिए उनके माता - पिता के पास पढ़ाने के लिए पैसा नहीं था । उसके माता - पिता ने उसे पढ़ाने के लिए अपना खेत बेच दिये । 

     फिर कुछ ही दिनों बाद उनके बेटे को नौकरी मिल गई, और उसने अपना शादी भी अपना मन से कर लिया ।

 जब वो अपने माता - पिता से मिलने जाता है, तो उसने अपने माता - पिता को कहा आप दोनों इसी गाँव में रहिये मैं जा रहा हूँ । अपने नोकरी पर परन्तु उनके माता - पिता को बहुत शौख था, की बेटा नौकरी करेगा तो हम उसके साथ रहेंगे । इस बात सुनकर ओ हैरान हो गए । पर ओ मान गए और अपने गाँव में ही रहने लगे । बेटा अपना पत्नी के साथ शहर में रहने लगा ।

        तभी कुछ दिनों बाद उसके पत्नी ने एक बच्चा को जन्म दिया । जिसे सेवा करने के लिए कोई घर में आदमी चाहिए, परन्तु कोई नहीं था। 

तभी उनके बेटे ने अचानक से अपने माता - पिता के पास पत्र लिखा और साथ में टिकट भी आने का भेज दिए । उसके माता - पिता ने पत्र मिलते ही ओ शहर आ गए । उनका बेटा उन्हें लेने स्टेशन आया हुआ था । और बेटा ने अपने गलती को माफ़ी मागा और घर सब साथ मिलकर चले गए ।

इस कहानी से आपको क्या शिक्षा मिलती है, आप हमें Comment box में बताइये ।

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